Thursday, November 06, 2014

मेरी दिल्ली को मेरा सलाम है


थोड़ा झंझट है थोड़ा बबाल है, 
इधर उधर का सबको ख्याल है, 
मेरी दिल्ली तो एक कमाल है

कुछ आधा है तो कुछ अधूरा है
कहीं कहीं ही कुछ पूरा है
थोड़ा किस्सा है, थोड़ी कहानी है
मेरी दिल्ली में एक रवानी है ।

 सब कुछ दिखता है, कुछ भी बिकता है 
हल्का हल्का भुनता औ धुनता है
मेरी दिल्ली में कभी कुछ नहीं रुकता है

भीनी सी सुबह, महकी सी शाम है
अजब सा चहुँ ओर घाम है
मेरी दिल्ली एक ताम झाम है।

खुदा की तारीफ है , राम की बलिहारी है 
हर गली में राधा-श्याम की छटा न्यारी है 
मेरी दिल्ली में हर ख़ास -ओ- आम है
मेरी दिल्ली को मेरा सलाम है। 

मेरी दिल्ली को मेरा सलाम है। 

No comments:

Post a Comment